Monday, July 24, 2017

बस अपनी कही और उठ कर चल दिए



बस अपनी कही और उठ कर चल दिए
मैंने कहा था," बादलों से निकल कर आउंगी किसी शाम;
कुछ हिसाब चुकाने हैं;
तुम्हारी मोहब्बत सिर्फ पानी नहीं कमानी है;
अगर भरोसा है तो रुकना
अपने अलफ़ाज़ निभाने आउंगी किसी शाम"
दो पल की देर
और वो शमा सरे शाम बुझाकर चल दिए 
बस अपनी कही और उठ कर चल दिए

1 comment:

Adi said...

Kya khoob matlab parasto ki baangi likhi hai

Resolve

Don’t ever try to become somebody else’s dream. That is when you lose the freedom to shape your life your own way. It is way more rewarding ...