कभी माज़ी के फूलों की खुश्बू में गुम रहते हो
कभी बंद कलियों के रंग सोचने की कोशिश में
कभी महकती नज़रों से अपना गुलिस्ताँ भी आबाद कर लो
अभी ज़िन्दा है ; कल मुरझा न जाये तुम्हारी एक निगाह पाने की कशिश में बहुत खूबसूरत होता है इंतज़ार
शायर के लफ्ज़ उसे खुदा बना देते हैं
मोहब्बत की पहचान बना देते हैं
लेकिन इंतज़ार की एक शक्ल वो भी है
जो चुप्पी के बदनुमा रंग में रंगी होती है
मोहब्बत ख़त्म हो चुकी होती है
यार के कन्धों पर उसकी बदसूरत लाश टंगी होती है
इज्ज़त से दफनाया जाना भी नसीब नहीं होता
की उसे मुर्दा करार देने में भी यार की इज्ज़त हलकी होती है
लेकिन इंतज़ार की एक शक्ल वो भी है
जो चुप्पी के बदनुमा रंग में रंगी होती है
मोहब्बत ख़त्म हो चुकी होती है
यार के कन्धों पर उसकी बदसूरत लाश टंगी होती है
इज्ज़त से दफनाया जाना भी नसीब नहीं होता
की उसे मुर्दा करार देने में भी यार की इज्ज़त हलकी होती है
लेकिन क्या कमाल है ज़िन्दगी
की वही लाश गर दिल की ज़मीन पे दफनायें
फिर मुस्कुराती है ज़िन्दगी
फिर आती है आँखों में चमक
फिर एक नया चाँद जवाँ होता है
दिल का हर ज़ख्म भर जाता है
प्यार कई शक्लों में झलकता है
कभी बूढी आँखों की चमक में
कभी नन्ही शक्ल की बड़ी निगाहों की शरारत में
कभी अपने हाथों से सींचे पौधे के सब्ज़ पत्तों में
कभी ओस से सजी नयी कलि की रंगत में
कभी पहली बारिश की गुन गुनाती बूंदों में
किसी इंसान की मिल्कियत नहीं मोहब्बत
किसी ख़ास तरह के रिश्ते की मोहताज नहीं मोहब्बत
कभी पहली बारिश की गुन गुनाती बूंदों में
किसी इंसान की मिल्कियत नहीं मोहब्बत
किसी ख़ास तरह के रिश्ते की मोहताज नहीं मोहब्बत
यह तो तुम पे टूट के बरसती है
कभी माँ के आंसुओं में
कभी दोस्त के यकीन में
तुम यूँ ही माज़ी को सहलाते रहो
कभी माँ के आंसुओं में
कभी दोस्त के यकीन में
तुम यूँ ही माज़ी को सहलाते रहो
आज को नहीं देखोगे तो माज़ी के ख़ज़ाने को कैसे बढ़ाओगे
तुम यूँ ही बंद कलियों के रंग कुरेदने की कोशिश करते रहो
मुरझाये काले फूलों के अलावा कुछ न हासिल कर पाओगे
अब भी वक़्त है
ज़िन्दगी दरवाज़े पे है; गले लगा लो
ज़िन्दगी दरवाज़े पे है; गले लगा लो
मोहब्बत जिस शक्ल में नसीब हो
किस्मत है; मोहब्बत है ; अपना लो
किस्मत है; मोहब्बत है ; अपना लो
For friends not very conversant with the script
Mohabbat
Kabhi maazi ke phoolon ki khushboo me gum rehte ho
Kabhi band kaliyon ke rang sochne ki koshish me
kabhi mehakti nazron se apna gulistan bhi aabaad kar lo
kabhi mehakti nazron se apna gulistan bhi aabaad kar lo
Bahut Khoobsoorat hota hai intezaar
Shayar ke lafz use khuda bana dete hain
Mohabbat ki pehchaan bana dete hain
Lekin intezaar ki ek shakl wo bhi hai
Jo chuppi ke badnuma rang me rangi hoti hai
Mohabbat khatam ho chuki hoti hai
Yaar ke kandhon pe uski badsoorat lash tangi hoti hai
Izzat se dafnaya jaana bhi naseeb nahi hota
Ki use murda karar dene me bhi yaar ki izzat halki hoti hai
lekin kya kamaal hai zindagi
Ki wahi lash gar dil ki zameen pe dafnayein
Fir muskurati hai zindagi
Fir aati hai ankhon me chamak
Fir ek naya chand jawan hota hai
Dil ka har zakhma bhar jaata hai
Pyar kai shaklon me jhalakta hai
Kabhi boodhi ankhon ki chamak me
Kabhi nanhi shakal ki badi nigahon ke shararat me
Kabhi apne hathon se seenche poudhe ke sabz patton me
Kabhi os se saji nayi kali ki rangat me
Kabhi pahli barish ki gun gunati boondon me
Kisi insaan ki milkiyat nahi muhabbat
Kisi khaas tarah ke rishtey ki mohtaaz nahi mohabbat
Yeh to hum pe toot ke barasti hai
Kabhi ma ke ansuon me
Kabhi dost ke yakeen me
Tum yuhin maazi ko sehlate raho
Aaj ko na hi dekhoge to maazi ke khazane ko kaise badhaoge
Tum yuhin band kaliyon ke rang kuredne ki koshish karte raho
Murjhaye kaale phoolon ke alawa kuchh na hasil kar paaoge
Ab bhi waqt hai,
Zindagi darwaze pe hai gale laga lo
Mohabbat jis shakl me naseeb ho
Qismat hai, mohabbat hai apna lo
P.S. I had written it on 31st Aug'2009
5 comments:
मोहब्बत जिस शक्ल में नसीब हो
किस्मत है; मोहब्बत है ; अपना लो
awesome lines..
Great post.
This is truly with a powerful desire..
Loved it to the core!
@ Jyoti : Thanks ... yes love does not knock always and forever
@ Alcina: Thanks.... really happy :)
Take care
But then I don't know.. you have expressed it very well...for me 'love' is allowing the person just to be..whatever.. no expectations..
Last 2 lines awesome...
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