Monday, April 4, 2011

बस अपनी कही और उठ कर चल दिए.



बस अपनी कही और उठ कर चल दिए
मैंने कहा था," बादलों से निकल कर आउंगी किसी शाम;
कुछ हिसाब चुकाने हैं;
तुम्हारी मोहब्बत सिर्फ पानी नहीं कमानी है;
अगर भरोसा है तो रुकना
अपने अलफ़ाज़ निभाने आउंगी किसी शाम"
दो पल की देर
और वो शमा सरे शाम बुझाकर चल दिए 
बस अपनी कही और उठ कर चल दिए
 

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Resolve

Don’t ever try to become somebody else’s dream. That is when you lose the freedom to shape your life your own way. It is way more rewarding ...