बस अपनी कही और उठ कर चल दिए
मैंने कहा था," बादलों से निकल कर आउंगी किसी शाम;
कुछ हिसाब चुकाने हैं;
तुम्हारी मोहब्बत सिर्फ पानी नहीं कमानी है;
अगर भरोसा है तो रुकना
अपने अलफ़ाज़ निभाने आउंगी किसी शाम"
दो पल की देर
और वो शमा सरे शाम बुझाकर चल दिए
बस अपनी कही और उठ कर चल दिए
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